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चेतना लौटने लगी। साँस में गंधक की तरह तेज़ बदबूदार और दम घुटाने वाली हवा भरी हुई थी। कोबायाशी ने महसूस किया कि बम के उस प्राण-घातक धड़ाके की गूँज अभी-भी उसके दिल में धँस रही है। भय अभी-भी उस पर छाया हुआ है। उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा है। उसे साँस अमृतलाल नागर

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

''एक राजा निरबंसिया थे”—माँ कहानी सुनाया करती थीं। उनके आसपास ही चार-पाँच बच्चे अपनी मुठ्ठियों में फूल दबाए कहानी समाप्त होने पर गौरों पर चढ़ाने के लिए उत्सुक-से बैठ जाते थे। आटे का सुंदर-सा चौक पुरा होता, उसी चौक पर मिट्टी की छः ग़ौरें रखी जातीं, जिनमें कमलेश्वर

मोती ने गाय को गले लगा लिया, बचाने के लिए धन्यवाद कहा।

अगर कबरी बिल्ली घर-भर में किसी से प्रेम करती थी तो रामू की बहू से, और अगर रामू की बहू घर-भर में किसी से घृणा करती थी तो कबरी बिल्ली से। रामू की बहू, दो महीने हुए मायके से प्रथम बार ससुराल आई थी, पति की प्यारी और सास की दुलारी, चौदह वर्ष की बालिका। भंडार-घर भगवतीचरण वर्मा

मुस्लिम बुज़ुर्ग को ट्रेन में बीफ़ के शक में पीटे जाने का क्या है मामला, अब तक क्या कार्रवाई हुई

The novel delves into themes for instance gender inequality, social reform, and the quest for personal liberty. This Hindi fiction e-book is celebrated for its realistic portrayal of people and its social commentary. The narrative skillfully addresses the complexities of Indian Culture, shedding mild about the oppression faced by Women of all ages and the need for social transformation.

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश

रामकृष्ण परमहंस उस वृक्ष के नीचे गए और विषधर को बुलाया। विषधर क्रोध में परमहंस जी के सामने आंख खड़ा हुआ। विषधर को जीवन का ज्ञान देकर परमहंस वहां से चले गए।

एक दिन जब बरसात तेज हो रही थी। तभी सुरीली के बच्चों को जोर से भूख लगने लगी। बच्चे खूब जोर से रोने लगे, इतना जोर की देखते-देखते सभी बच्चे रो रहे थे। सुरीली से अपने बच्चों के रोना अच्छा नहीं लग रहा था। वह उन्हें चुप करा रही थी, किंतु बच्चे भूख से तड़प रहे थे इसलिए वह चुप नहीं हो रहे थे।

जिसका काम उसी को साजे more info , शेर ने आदमी की नक़ल करनी चाही और परिणाम गलत साबित हुआ।

मोर की याद में जो आंसू का-संगी ने बहाये, वह मोर के पंखो पर गिरे और रंग बिरंगे निशान छोड़ गए, जो आज भी मोर के पंखो पर देखे जा सकते हैं।

वही साहित्यिक 'हिंदी' जो हिंदी के नाम पर शिक्षण संस्थानों में प्राइमरी से लेकर विश्वविद्यालयों तक लागू है और जिसमें लाखों हिंदी भाषी बच्चे परीक्षाओं में फ़ेल हो जाते हैं.

कहानी एक बड़ा सबक देती है कि हमें अपने दोस्तों का चयन बहुत ध्यान से करना चाहिए।

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